नई दिल्ली । भारत की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में फांसी की सजा दी गई थी, जिसे फिलहाल टाल दिया गया है, निमिषा अकेली ऐसी नहीं हैं जो विदेशों की जेलों में सजा काट रही हैं। दुनिया भर की जेलों में इस समय हजारों भारतीय बंद हैं, जिनमें से 49 नागरिकों को मौत की सजा सुनाई गई है। इन मामलों में कुछ अंतिम फैसले के मुहाने पर हैं, तो कुछ अब भी माफी की उम्मीद में हैं।
बता दें केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया पर यमन के एक नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है। यमन की कोर्ट ने उन्हें ‘किसास’ यानी ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ के सिद्धांत के तहत मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि 16 जुलाई को होने वाली उनकी फांसी धर्मगुरुओं की बातचीत और सामाजिक कार्यकर्ताओं की अपील पर फिलहाल टाल दी गई है, लेकिन तलाल के परिवार ने निमिषा को ना तो माफी दी है और न ही ब्लड मनी स्वीकार की है, जिससे निमिषा के लिए हालात और कठिन हो गए हैं।
इससे पता चलता है विदेशी जेलों में भारतीयों की स्थिति कितनी नाजुक है। आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच सालों में 10 हजार से ज्यादा भारतीय नागरिक कई देशों की जेलों में बंद हैं, जिनमें कई को फांसी की सजा भी दी जा चुकी है। कुवैत में पिछले पांच सालों में 25 भारतीयों को फांसी दी गई, सऊदी अरब में 9, जिम्बाब्वे में 7, मलेशिया में 5 और जमैका में 1 भारतीय को यह सजा दी जा चुकी है।
वर्तमान में जो भारतीय नागरिक फांसी की कतार में हैं, उनमें से सबसे ज्यादा यूएई में हैं, जहां 25 भारतीयों को मौत की सजा सुनाई गई है। इसके बाद सऊदी अरब में 11, मलेशिया में 6, कुवैत में 3 और इंडोनेशिया, कतर, अमेरिका और यमन में 1-1 भारतीय नागरिक इस स्थिति में हैं। ये आंकड़े केवल आंकड़े नहीं, बल्कि उन परिवारों की टूटी उम्मीदें हैं जो अपने प्रियजनों की वापसी का इंतजार कर रही हैं।